लेखनी कहानी -05-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 21
वैशाली जी कि नज़रे बार बार दरवाज़े कि और टिकी थी उनकी एक नज़र दरवाज़े पर थी तो दूसरी दीवार पर टंगी घड़ी पर जिसमे लगी सुइंया ना जाने किस रफ़्तार से भाग रही थी।
पलक झपकते ही समय बीत रहा था और रात के 8 बज गए थे। वही दूसरी तरफ हिमानी और हंशित लकड़ी के सहारे बैठे थे रस्सी डाल दी गयी थी किन्तु उन्हें डर लग रहा था लेकिन आखिर कार हंशित ने हिम्मत कि और रस्सी पकड़ ली और हिमानी से उसे पकड़ने को कहा हिमानी बहुत दुविधा में थी आखिर वो कैसे किसी अनजान लड़के के इतने करीब जा सकती थी। हंशित ने उसे यकीन दिलाया की वो वो उस पर भरोसा कर सकती है तब जाकर वो उसके सीने से लग गयी
उसके सीने से लग कर मानो हिमानी ने खुद को मेहफ़ूज़ समझा । अपने दोनों हाथ से उसने उसकी पीठ पकड़ ली और अपनी आँखे बंद कर ली। आज से पहले वो कभी भी इस तरह किसी गैर मर्द के इतना करीब नही आयी थी।
हंशित को भी बहुत सुकून मिला जब हिमानी ने उसे इस तरह उसके सीने से लग गयी ।उसके चेहरे पर मौजूद वो डर जो उसे और खूबसूरत बना रहा था उसके वो सिल्की सिल्की बाल उड़ कर उसके मुँह पर आ रहे थे और उसे तंग कर रहे थे लेकिन वो किसी मासूम बच्चें की तरह उसके सीने से चिपकी थी आँखे बंद की हुयी।
हंशित ने बहुत हिम्मत की और वो उसे सही सलामत ऊपर ले आया ।
उसके दोस्तों ने उसे गले लगाया और कहा " हम लोग बेहद डर गए थे कही तुझे कुछ हो जाता तो तेरी माँ को क्या जवाब देते "
"हिमानी तुम ठीक तो हो तुम्हे कही कोई चोट तो नही आयी है " हंशित ने पूछा
हिमानी बहुत डरी हुयी थी उसने बस इतना कहा " मुझे घर जाना है, बहुत देर हो गयी "
"डरो नही हिमानी हम तुम्हे घर छोड़ आते है तुम पहले ये पानी पियो " हंशित ने कहा
सब लोग उसे वहा से ले आये। वो घर आ गयी उसकी ये हालत देख वैशाली जी घबरा गयी और बोली " हे! राम ये क्या हो गया तुझे "
कविता जी वहा बैठी थी " ये क्या हालत बना रखी हे इसने कहा से आ रही हे ये रात के इस समय वो भी इस हालत "
"बेटी बताओ क्या हुआ तुम्हे रो क्यू रही हो " हरी किशन जी ने पूछा
हिमानी ये सुन अपने पिता के सीने से लग जाती और रोने लगती वो बहुत डरी हुयी थी। वो डरते डरते सारी बात बता देती हे।
ये सुन सब घबरा जाते हे। कविता जी को यकीन नही आता की वो सच कह रही हे लेकिन फिर भी सच मान कर चली जाती हे।
जरूर दाल में कुछ काला हे, ज़रूर कुछ कर के आयी होगी और बहाना बना रही हे की गिर गयी थी झूठी कही की।
हिमानी अपने कमरे में चली गयी। उसकी आँखों के सामने वही सब कुछ आ रहा था जब वो नीचे गिरी वो बहुत डर गयी थी। भव्या उसके पास बैठी थी रात भर वो सो ना सकी जब आँखे बंद करती डर जाती।
दूसरी तरफ हंशित के दिल में कुछ होने लगा था जो आज से पहले कभी नही हुआ था। हिमानी का वो मासूम चेहरा उसकी आँखों के सामने बार बार आ रहा था। उसका उसे सीने से लगा लेना अपने आप को उसकी बाहो में मेहफ़ूज़ समझना शायद उसे सच में उससे मोहब्बत हो गयी थी तब ही तो उसकी एक झलक देखने के लिए बेताब हो रहा था और सो गया।
अगले दिन हिमानी नही गयी। वो भी हंशित के खयालो में खो सी गयी थी उसे भी बार बार वही सब कुछ याद आ रहा था जब वो उसकी बाहो में थी और वो उसे बचाने की संभव कोशिश कर रहा था अपनी जान खतरे में डाल कर
हिमानी कभी किसी लड़के के इतने नजदीक नही गयी थी जितना उसके चली गयी थी। उसे ना जाने उसकी बाहो में एक अजीब सा सुकून मिल रहा था उसे एक यकीन था की वो उसकी बाहो में मेहफ़ूज़ रहेगी और वो उसे बचा लेगा। हिमानी को भी हंशित से मिलने का उसे देखने का मन कर रहा था। वो उसे धन्यवाद करना चाहती थी।
वही दूसरी तरफ हंसराज जी ने उन झुग्गी झोपडीयों को हटाने के लिए बुलडोज़र मंगा ली और आज उन झोपडीयों पर बुलडोज़र चलना थी। पूरी बसती में हाँ हाँ कार मचा हुआ था। सब लोग रो रहे थे फरियाद कर रहे थे। उनके आशयाने जिन्हे उन्होंने तिनको से बनाया था उन्हें तोड़ा जा रहा था।
आसमान काले बादलो से घिरा हुआ था बारिश तैयार थी कही दुआ हो रही थी की बारिश हो जाए तो हम नहाएंगे और चाय पकौड़ो का आंनद लेंगे। किसान फरियाद कर रहे थे की ज्यादा बारिश हो जिससे हम धान लगा सके।
वही कुम्हार अपने मटको को बारिश से बचाने के लिए अंदर रख रहा था। कोई दुआ मांग रहा था तो कोई डर रहा था बारिश से वो लोग जिनके आशयाने तबह किए जा रहे थे वो डर रहे थे की अगर बारिश हो गयी तो हम अपना सर कहा छिपाएंगे। आखिर कार वही हुआ जिसका डर था। उधर बुलडोज़र ने उनके घरों को ढा दिया जिन्हे उन्होंने अपने खून पसीने की कमाई से बनाया था और उधर आसमान से मूसलाधार बारिश उन लोगो के लिए इंद्र देव का प्रकोप बन कर बरसी। कही कढ़ाई में पकोड़े और गैस पर अदरक की चाय चढ़ी तो कही अपना सर छुपाने के लिए वो लोग भागते नज़र आये ।
ना जाने कितनो ने उस दिन अपने अश्याने अपनी आँखों के सामने तबह होते देखे बस उनका कसूर इतना था की उन्होंने उन लोगो पर भरोसा किया जो कभी उनके यहाँ वोट मांगने आये और वायदा दिया जीतने पर उन्हें घर बना कर देंगे लेकिन वो भी झूठे और उनके किए वायदे भी झूठे निकले वो तो उनके साथ आकर भी नही खड़े हुए ताकि उनकी जंग में उनका साथ दे सके । सिर्फ किसी एक धर्म या जाती वाले का अशयाना तबह नही हुआ उस मूसलाधार बारिश में सब ही के आशयाने तबह हो गए । जो अपनी इज़्ज़त को उस झोपड पट्टी में छिपाये बैठे थे । सब बेघर हो गए उस बारिश ने उनके आंसू तक धो दिए जो उस दिन उनकी आँखों से निकल रहे थे सिर्फ उनकी आँखे ही नही दिल भी रो रहा था और ना जाने कौन कौन सी बद्दुआ उनके दिल से निकल रही थी ।
हंसराज अपनी गाड़ी में बैठ कर वहा का मुआयना करने आया उसने पास बैठे रजत से कहा " देखा तुमने जब घी सीधी ऊँगली से ना निकले तब क्या करना चाहिए कितना अच्छा होता अगर हमारे सामने पहले ही हार मान लेते तो आज ये सब ना होता इन लोगो के साथ "
रजत खामोश था उसका दिल अपने पिता जैसा बिलकुल नही था उसकी आँखों में पानी था बाहर बारिश में रोते बिलखते लोगो को देख कर लेकिन वो खामोश था । आखिर कर भी क्या सकता था सब कुछ उसने ईश्वर पर ही छोड़ रखा था वो ये सोच ही रहा था की अचानक एक बुढ़िया उनकी खिड़की पर ज़ोर ज़ोर से हाथ मार कर बोली " तुम भी तड़पोगे ऐसे जैसे मैं तड़प रही हूँ, तुम्हारा भी जब अपना कोई इस दुनियां से जाएगा तब पता चलेगा मेरा बेटा भी चला गया तुम्हारा भी कोई जाएगा ये एक माँ की बद्दुआ हे "
"ड्राइवर गाड़ी चलाओ ना जाने कहा से आ जाते हे ये लोग " हंसराज जी ने कहा गुस्से से
"साहब इस औरत का बेटा मर गया बारिश में भीगने की वजह से अभी अभी मुझे किसी ने बताया " ड्राइवर ने कहा
"तो तुझे क्यू इतना दुख हो रहा हे हमने पहले चेतावनी दी थी की इंसानियत से जगह खाली करदो वरना बेवजह में लोग मारे जाएंगे तू गाड़ी चला सामने देख कर घर पर आज मजेदार व्यंजन बने होंगे बारिश जो हो रही हे " हंसराज जी ने कहा
रजत ने अपने पिता की तरफ देखा और नज़रे नीचे कर ली। ड्राइवर भी गाड़ी ले गया वहा से।
घर पहुंच कर उन्होंने अपनी मनपसंद के खाने खाये और फिर अदरक वाली चाय का आंनद खिड़की पर बैठ कर बाहर बारिश देखते हुए लिया।
दो दिन के बाद हिमानी, हंशित और उसके दोस्तों के पास गयी ।
हंशित हिमानी को देख मुस्कुराया और हिमानी उसे देख शर्मा गयी दोनों के दिल में प्यार की घंटी बज चुकी थी बस दोनों को पता नही था ।
उसके बाद वो लोग केदारनाथ के समीप स्थित वसूकी ताल गए वो भी बहुत प्यारी जगह थी ।
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Teena yadav
09-Aug-2022 12:25 AM
Very nice part 👍
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Renu
06-Aug-2022 11:21 PM
हंसराज को गरीब लोगों की बस्ती को नही उजाड़ना चाहिए था उन्हें खुद कही दूसरी जगह अपना कार्य पूर्ण कर लेना चाहिए था देखते है आगे एक मां की दुआ में कितनी ताकत होती हैं
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Gunjan Kamal
06-Aug-2022 08:47 PM
शानदार
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